Book an Appointment +91 9113359215 +91 8271987302
Advanced
Search
  1. Home
  2. आयुर्वेदीय द्रव्यों का वर्गीकरण (Classification of Ayurvedic Medicines)

आयुर्वेदीय द्रव्यों का वर्गीकरण (Classification of Ayurvedic Medicines)

  • December 5, 2022
  • 0 Likes
  • 603 Views
  • 0 Comments

द्रव्यों का वर्गीकरण

1. त्रिफला वर्ग

2. त्रिमद वर्ग

3. त्रिकुट वर्ग

4. चतुः पच्अ – षडूषण वर्ग

5. त्र्यूषण वर्ग

6. त्रिजातक एवं चातुर्जातक वर्ग

7. सव्रगन्ध वर्ग

8. चातुभ्रद्रक वर्ग

9. पच्अकोल वर्ग

10. पच्अक्षीरिवृक्ष वर्ग

1. त्रिफला वर्ग

त्रिफला वर्ग को बनाने के लिए हरड़ ( Terminalia Chebula ) , बहेड़ा Terminalia bellierica ) , अमला ( Emblica officinalis ) इन तीनों फलों को बराबर मात्रा में लेने को त्रिफला कहते हैं।

– आचार्य सुश्रुत और आचार्य भावमिश्र ने भी सममात्र में इन तीनों फलों को लेना का निर्देश दिया है ।

– आचार्य शाग्र्डंधर मिश्र ने हरड़ का 1 फल बहेड़ा का 2 फल और अमला का 4 फल लेना को त्रिफला कहा है ।

2 . त्रिमद वर्ग

इस वर्ग को बनाने के लिए नागरमोथा ( Cyperus rotundus ), चित्रकमुल ( Plumbago zeylanica ),वायविडंग (Embelia ribes ) उपर्युक्त तीनों द्रव्यों को समभाग में ग्रहण करने को त्रिमाद कहते हैं।

3. त्रिकुट वर्ग

त्रिकुट वर्ग बनाने के लिए पीपली ( Piper longum ) , मरिच (Piper nigrum) , सोंठ ( Zingiber officinale ) इन तीनों द्रव्यों को बराबर मात्रा मिला कर लेने को त्रिकुट कहते हैं।

4. चतुः पच्अ – षडूषण वर्ग

  • त्रिकटु में पिपलीमुल मिलने को चतुरूषण काह जात हैं।
  • चतुरुषण में चित्रकमूल मिलने से पच्ओषण कहा जाता हैं।
  • पच्ओषण में चव्य मिलाने से षडूषण कहा जाता हैं।

5. त्र्यूषण वर्ग

चव्य,‌ चित्रकमुल और गजपीपली को समभाग ग्रहण करने को त्र्यूषण कहा जाता हैं।

6. त्रिजातक एवं चातुर्जातक वर्ग

– दालचीनी , छोटी इलायची , तेजपत्ता इन तीनों द्रव्यों समभाग में ग्रहण करने को त्रिसुगंधी और त्रिजातक कहते हैं।

– इसमें नागकेशर समभाग मिलने को चातुर्जातक कहा जाता है ।

Connect us on instagram for health post – click here

7. सर्वगंध वर्ग

दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपत्ता, नागकेशर कर्पूर, सीतलचीनी, अगरू, सिहक, लवग्ड़ – सभी को समभाग में मिलने को सर्वगंध वर्ग कहा जाता है ।

8. चातुभ्रद्रक वर्ग

सोंठ, अतीस, नागरमोथा और गुडूची । इन चारों द्रव्यों को सम्भाग में ग्रहण करने को चातुभ्रद्रक वर्ग कहते हैं।

9. पच्अकोल वर्ग

पीपर, पिपरामुल, चव्य, चित्रकमुल, सोंठ – इन पांचों द्रव्यों को 1-1 आधा तोला मात्रा में ग्रहण करने को पच्अकोल कहते हैं।

10. पच्अक्षीरिवृक्ष वर्ग

‌गूलर वट पीपल वेतस पांकड इन वृक्षों से दूध निकलता है, इन पांचों वृक्षों को क्षीरिवृक्ष कहते हैं।

गूलर

वट (Ficus glomerata)

पीपल ( Ficus bengalensis)

पाकड़ ( Ficus religiosa)

वेतस ( Ficus infectoria)

Book an appointment from expert Ayurveda Doctors – click here

Leave Your Comment